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जनवरी के महीने में उक्रेन की ४ लड़कियों ने इंडियन एम्बसी के ऊपर से भारत के राष्ट्रीय झंडे को उतार कर उसे फाड़ दिया वहां खिड़की और दरवाजे तोड़ने की कोशिश की. ऐसा करने के पीछे उनकी वजह ये थी की भारत की सरकार ने वहां की लड़कियों की पूरी तरह से जांच पड़ताल करने के बाद ही भारत में आने की अनुमति देने का आदेश दिया था. भारत सरकार का कहना था की इससे वहां से आने वाली वेश्यायों को रोका जा सकेगा.इस पर इन ४ लडकियों ने अर्ध नग्न होकर ये कहा की वो वेश्यायें नहीं हैं.
वजह चाहे जो भी रही हो पर अपने विरोध को दर्शाने के और भी तरीके होते हैं. अपना विरोध जताने के लिए किसी के राष्ट्रीय झंडे को अपमानित करना सही नहीं हो सकता. अब इसे भारत की जनता का शांत चरित्र कहें या फिर कायरता की जब हमारे झंडे का अपमान हुआ, तब हमारे बीच कोई आग नहीं दिखाई दी, और जब हमारे देश में एक कार में बोम्ब विष्फोट होता है जिसमे ४ लोग सिर्फ घायल होते हैं तो उस पर विश्वव्यापि चर्चा होती है क्योकि वो कार एक विदेशी अधिकारी की थी.
हाँ भारत में वेश्यायों के बारे में हमेशा से २ रायें रही हैं. लोग एक तरफ कहते हैं की ये गलत है फिर क्यूँ हम में से ही कुछ लोग वहां जाते हैं. बिज़नस कस्टमर्स से ही बनता है. सभी कहते हैं की ये राह गलत है पर कोई भी ये जानने की जेहमत नहीं करना चाहता की जो लड़कियां इस लाइन में आती हैं उनके इस कदम को उठाने की वजह क्या है. क्यों वो ऐसा काम करने को तैयार हो जाती हैं जिसे समाज में सम्मान नहीं प्राप्त है.
जब किसी मर्द को कोई उचित काम नहीं मिलता है तो वो भी मजदूरी करता है, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन पर कुली का काम करता है. महिलाओ के पास ऐसी क्षमता संभवता कम ही है की वो भी जाकर लोगों का सामान उठाये.इसलिए वो घरो में काम करती हैं. और जिनकी मजबूरी इसकी भी इज़ाज़त नहीं देती उन्हें फिर उन अँधेरी गलियों में जाना पड़ता है जहाँ लोग जाना तो पसंद करते हैं पर बताना नहीं.
इसकी एक वजह अशिक्षा भी है. क्युकी अगर लड़की शिक्षित होगी तो फिर उसके पास हजारो रास्ते होंगे इस रास्ते पर न जाने के. पर हमारे समाज में आज भी अशिक्षा और ख़ास तौर पर लड़कियों के मामले में पाँव पसारे बैठी है.
हमारे ही समाज का एक और ग्रडित पहलु हैं बलात्कार. यहाँ हर रोज किसी न किसी का कहीं न कहीं बलात्कार होता है. अगर एक ताराग से देखा जाए तो वेश्याएँ समाज के लिए उपकार ही कर रही हैं. क्योकि बलात्कार वो करता है जिस पर हवास का भूत सवार होता है. और ऐसे ही बहुत से हवास के शिकार लोग वेशयों के पास जाते है अपनी भूख मिटाने के लिए. अगर वेश्यायें इस ज़हर को न पीती तो फिर वो लोग जो अपनी हवास वेशयों के कोठों में जाकर शांत करते हैं. उन्ही में से कुछ बलात्कारियो की संख्या बढ़ने में सहयोग कर रहे होते.
हमारी सरकार को चाहिए की अगर हमारा समाज इसकी इज़ाज़त नहीं देता है तो फिर उन्हें ऐसे सभी कोठों को बंद करके वहां की सभी वेशयाओ को, अगर उस इलाके में नहीं तो दूसरी जगह, एक सम्मानजनक काम दिलाये.
और ये जिम्मेदारी हमारी भी है की अगर हम इसके विरोध में बड़ी बड़ी बातें करते हैं तो फिर हममे से किसी को भी वहां नहीं जाना चाहिए.
वो सब कुछ अपनेआप ही बंद हो जायेगा.
ये घटना बहुत से सवाल कड़ी करती है जिन पर हमें विचार करना चाहिए.
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